तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥ अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा । तन नहीं ताके रहे कलेशा ॥ अर्थ- हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे https://shiv-chalisa-lyrics-in-hi57589.wikigop.com/836514/considerations_to_know_about_shiv_chalisa_lyrics_in_punjabi