दिल से देखा तो भरी महफिल में खुदको अकेला पाया। दिल सरापा दर्द था वो इब्तिदा-ए-इश्क़ थी मैं पत्थर हूँ मुझे खुद से भी मोहब्बत नहीं है। वही कारवाँ वही रास्ते वही ज़िंदगी वही मरहले Your browser isn’t supported anymore. Update it to have the finest YouTube working experience and https://youtu.be/Lug0ffByUck