जनकसुता हरि दास कहावो, ताकी शपथ विलम्ब न लावो । ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल, ॐ सं सं सहमि पराने खल दल । तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥ लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।जात पवनसुत बार न लाई॥ कंचन थार कपूर लौ छाई।आरती करत अंजना https://laxmi56665.link4blogs.com/54238288/hanuman-options